Thursday, August 30, 2012

                   कागजी फांसी
आज का दिन भारत के लिए एक एतिहासिक दिन है.आज न्यायपालिका नें अपनी तरफ से २००२  गुजरात दंगों के मामले में  ३२ को दोषी करार देने के  साथ-साथ २००८के मुंबई पर हुए आतंकवादी हमले के मुख्य आरोपी अजमल कसाब कद्ब  फांसी की सजा को बरकरार  रखा है.निश्चित तौर पर ये दोनों फौसले बेहद अहम फौसले है.अब तो बस हर किसी के मन एक ही सवाल उठ रहा है फै सले पर अम्ल का दिन कब आएगा या तो फिर भारतीय संसद में हमले के अभियुक्त अफजल गुरू की फांसी तरह यह फैसला सिर्फ कागजों में ही दर्ज रह जाएगा.१३दिसंबर २००१लगभग १२साल बीत चुके हैं. इस घटना से जुड़ी एक अहम बात स्म्रती में दस्तक दे रही है ,जब अफजल गुरू की दया याचिका तात्कालिक राष्ट्रपति एे.पी.जे. अब्दुल कलाम के पास पेश की गई तब इस घटना में शहीद जवानों की बेवाओं नें अपनें परमवीर चक्र वापस करने की बात कही थी.आखिरकार महामहिम नें याचिका को अस्वीकार कर के सर्वोच्च न्यायलय के फै सले को बरकरार रखा. हमारे देश की बड़ी विडंम्बना की बमुश्किल कई साल लग जातें हैं . इन अहम फैसलों के लिए ,पर इन पर अमल होना तो दूर यह संसद में बहस का मुद्दा बन के रह जाता है.और बस रह जाती है कागजी फांसी .....

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